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हुस्न-ए-हक़ीक़ी, नूर-ए-अज़ल (Husn-E-Haqiqi, Noor-E-Azal) || आचार्य प्रशांत, ख्वाज़ा गुलाम फरीद पर (2013)

2019-11-26 4 Dailymotion

वीडियो जानकारी:<br /><br />आचार्य प्रशांत<br />शब्दयोग सत्संग<br />१७ नवम्बर २०१३<br />अद्वैत बोधस्थल,<br />नॉएडा<br /><br />संगीत: मिलिंद दाते<br /><br />प्रसंग:<br /><br />ऐ हुस्न-ए-हक़ीक़ी नूर-ए-अज़ल<br />तैनूँ वाजिब ते इम्कान कहूँ<br /><br />तैनूँ ख़ालिक़ ज़ात क़दीम कहूँ<br />तैनूँ हादस ख़लक़ जहान कहूँ<br /><br />तैनूँ मुतलक़ महज़ वजूद कहूँ<br />तैनूँ इलमिया अयान कहूँ<br /><br />अरवाह नुफ़ूस ओक़ूल मिसाल<br />अशबाह अयान नेहाँ कहूँ<br /><br />तैनूँ ऐन हक़ीक़त माहियत<br />तैनूँ अरज़ सिफ़त ते शान कहूँ<br /><br />अनवाय कहूँ औज़ाय कहूँ<br />इतवार कहूँ औज़ाय कहूँ<br /><br />तैनूँ अर्श कहूँ अफ़्लाक कहूँ<br />तैनूँ नाज़ नईम जिनाँ कहूँ<br /><br />तैनूँ तत जमाद नबात कहूँ<br />हैवान कहूँ इंसान कहूँ<br /><br />तैनूँ मसजद मन्दर दैर कहूँ<br />तैनूँ पोथी ते क़ुरआन कहूँ<br /><br />तस्बीह कहूँ ज़ुन्नार कहूँ<br />तैनूँ कुफ़र कहूँ ईमान कहूँ<br /><br />तैनूँ बादल बरखा गाज कहूँ<br />तैनूँ बिजली ते बारान कहूँ<br /><br />तैनूँ आब कहूँ ते ख़ाक कहूँ<br />तैनूँ बाद कहूँ नीरान कहूँ<br /><br />तैनूँ दशरथ लछमन राम कहूँ<br />तैनूँ सीता-जी जानान कहूँ<br /><br />बलदेव जसोदा नंद कहूँ<br />तैनूँ किशन कनहैया कान कहूँ<br /><br />तैनूँ बरमा बिशन गणेश कहूँ<br />महादेव कहूँ भगवान कहूँ<br /><br />तैनूँ गीत ग्रंथ ते बेद कहूँ<br />तैनूँ ज्ञान कहूँ अज्ञान कहूँ<br /><br />तैनूँ आदम हव्वा शीस कहूँ<br />तैनूँ नूह कहूँ तूफ़ान कहूँ<br /><br />तैनूँ इब्राहीम ख़लील कहूँ<br />तैनूँ मूसा बिन इमरान कहूँ<br /><br />तैनूँ हर दिल दा दिलदार कहूँ<br />तैनूँ अहमद आली शान कहूँ<br /><br />तैनूँ शाहद मुलक हजाज़ कहूँ<br />तैनूँ बायस कौण-मकान कहूँ<br /><br />तैनूँ नाज़ कहूँ अंदाज़ कहूँ<br />तैनूँ हूर परी ग़िलमान कहूँ<br /><br />तैनूँ नोक कहूँ तैनूँ टोक कहूँ<br />तैनूँ सुर्ख़ी बीड़ा पान कहूँ<br /><br />तैनूँ तबला ते तम्बूर कहूँ<br />तैनूँ ढोलक ते सुरबान कहूँ<br /><br />तैनूँ हुसन ते हार-शिंगार कहूँ<br />तैनूँ इश्वा ग़म्ज़: आन कहूँ<br /><br />तैनूँ इशक कहूँ तैनूँ इलम कहूँ<br />तैनूँ वहम यक़ीन गुमान कहूँ<br /><br />तैनूँ हुसन कवी इदराक कहूँ<br />तैनूँ ज़ौक़ कहूँ विज्दान कहूँ<br /><br />तैनूँ सकर कहूँ सकरान कहूँ<br />तैनूँ हैरत ते हैरान कहूँ<br /><br />तस्लीम कहूँ तलवीन कहूँ<br />तमकीन कहूँ इरफ़ान कहूँ<br /><br />तैनूँ सुम्बुल सौसन सर्व कहूँ<br />तैनूँ नरगस ना-फ़रमान कहूँ<br /><br />तैनूँ लाल दाग़ ते बाग़ कहूँ<br />गुलज़ार कहूँ बुस्तान कहूँ<br /><br />तैनूँ ख़ंजर तीर तुफ़ंग कहूँ<br />तैनूँ बरछा बाँक सिनान कहूँ<br /><br />तैनूँ तीर ख़दंग कमान कहूँ<br />सुफार कहूँ पैकान कहूँ<br /><br />बे-रंग कहूँ बे-मिस्ल कहूँ<br />बे-सूरत हर हर आन कहूँ<br /><br />सबूह कहूँ कदूस कहूँ<br />रहमान कहूँ सुबहान कहूँ<br /><br />कर तौबा तुरत 'फ़रीद' सदा<br />हर शय नूँ पुर नुक़सान कहूँ<br /><br />ए पाक अलख बे-ऐब कहूँ<br />उसे हिक्क बे-नाम-निशान कहूँ<br /><br />~ ख़्वाजा ग़ुलाम फरीद<br />_________<br /><br />उसको जानने का एक ही तरीका है कि ये जो सब कुछ है इसी में उसको देखो। चाय में भी वही है, कॉफी में भी वही है, दीवाल में भी वही है, चश्में में भी वही है, कपड़े में भी वही है, जानवर में भी वही है। पत्थर में भी वही है। पर सवाल वही है, इनमें नहीं दिखा रहा तो और कहाँ दिखेगा! आप शरीर में हैं, और शरीर तो इन्द्रियों से ही देखता है। इन्द्रियों से ही वो आपको नहीं दिख रहा तो वो आपको कहाँ दिखेगा!<br /><br />~ आचार्य प्रशांत जी

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